Description
कल्याणक घृत
वराविशाला भद्रैलादेवदार्वेलवालुकैः।। द्विसारिवाद्विरजनीद्विस्थिरा फलिनीनतैः। बृहती कुष्ठ मञ्जिष्ठा–नागकेसरदाडिमैः।।वेल्लतालीसपत्रैलामालती मुकुलोत्पलैः। सदन्तीपद्मकहिमैः कर्षांशैः सर्पिष पचेत्।। प्रस्थं भूतग्रहोन्माद कासापस्मारपाप्मसु। अ.हृ.उ.6/26-281/2
{1} हरीतकी-12 ग्राम
{2}बिभीतक-12 ग्राम
{3}आमलकी-12 ग्राम
{4}रक्त इन्द्रवारुणी-12 ग्राम
{5}भद्रैला-12 ग्राम
{6}देवदारु -12 ग्राम
{7}ऐलावालुक-12 ग्राम
{8}श्वेत सारिवा-12 ग्राम
{9}कृष्ण सारिवा-12 ग्राम
{10}हरिद्रा-12 ग्राम
{11}दारु हरिद्रा-12 ग्राम
{12}शालपर्णी-12 ग्राम
{13}पृश्णपर्णी-12 ग्राम
{14}}फलिनी-12 ग्राम
{15}तगर-12 ग्राम
{16}बृहती-12 ग्राम
{17}कुष्ठ-12 ग्राम
{18}मंजिष्ठा-12 ग्राम
{19}नागकेशर-12 ग्राम
{20}दाड़िम फल त्वक्-12 ग्राम
{21}विडंग-12 ग्राम
{22}एला-12 ग्राम
{23}जाती-12 ग्राम
{24}उत्पल-12 ग्राम
{25}दन्ती-12 ग्राम
{26}गो घृत-800 ग्राम
मात्रा– 12 ग्रा.
अनुपान– कोष्ण दुग्ध या जल।
गुण और उपयोग– इस घृत का प्रयोग मनोरोगों में विशेष रूप से किया जाता है। इसके सेवन से उन्माद, अपस्मार, हिस्टीरिया, भूतोन्माद, दिमाग की कमजोरी, तोतलापन, अग्निमांद्य, पाण्डु, खुजली, सूजन, प्रमेह, कास, श्वास, वातरोग, जुकाम, नपुंसकता, बांझपन, मन्दबुद्धि, कमजोरी, मूत्ररोग तथा विसर्प आदि रोग भी नष्ट होते हैं।
अध्यापक, छात्र आदि जो लोग बौद्धिक श्रम अधिक करते हैं उनके लिए यह अमृत के समान है अत उन्हें इस घृत का सेवन अवश्य करना चाहिए। गर्भवती स्त्री को भी इसका सेवन करना चाहिए, इससे बालक बुद्धिमान उत्पन्न होता है। कमजोर बुद्धि तथा तोतला बोलने वाले बच्चों में भी इसके प्रयोग से लाभ मिलता है।
Kalyanak Ghrita
1. Haritaki- 12 grams
2. Bibhitaka- 12 grams
3. Amalaki- 12 grams
4. Red Indravaruni- 12 grams
5. Bhadrela- 12 grams
6. Deodar- 12 grams
7. Ailavaluk- 12 grams
8. White Sariva- 12 grams
9. Krishna Sariva- 12 grams
10. Haridra- 12 grams
11. Daru Haridra- 12 grams
12. Shalparni- 12 grams
13. Prishtnaparni- 12 grams
14. Phalini- 12 grams
15. Tagar- 12 grams
16. Brihati- 12 grams
17. Kushtha- 12 grams
18. Manjishtha- 12 grams
19. Nagkeshar- 12 Grams
20. Pomegranate fruit skin- 12 grams
21. Vidang- 12 grams
22. Ella- 12 grams
23. Jati- 12 grams
24. Utpal- 12 grams
25. Danti- 12 grams
26. Cow ghee- 800 grams
Quantity- 12 grams
Anupaan- Warm milk or water.
Properties and uses- This ghee is specially used in mental diseases. By consuming it, diseases like mania, epilepsy, hysteria, hysteria, weakness of mind, stammering, indigestion, anemia, itching, swelling, gonorrhoea, cough, asthma, rheumatism, cold, impotence, infertility, slow intellect, weakness, urinary disease and erysipelas etc. also get cured.
For teachers, students etc. who do a lot of intellectual work, it is like nectar, hence they must consume this ghee. Pregnant women should also consume it, it makes the child intelligent. Children with weak intellect and those who speak stammeringly also benefit from its use.
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