Description
पंचगव्य घृत क्या है ?
पंचगव्य घृत घी रूप में एक आयुर्वेदिक महा औषधि है या ऐसे भी कह सकते हैं कि वह एक चमत्कारिक तुरंत असर करने वाली महा औषधि है। इस आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग मस्तिष्क को शक्ति देने ,पाचन शक्ति बढ़ाने ,मिर्गी के इलाज ,रक्त शोधन व पित्त विकार कैंसर जैसे हजारों रोगों को दूर करने में किया जाता है । अगर एक स्वस्थ व्यक्ति निरंतर इसका सेवन करता है तो 60 साल का व्यक्ति भी 30 वर्ष का लगने लगता है। चेहरे पर सूर्य के जैसी चमक आ जाती है।
पंचगव्य घृत बनाने की विधि :
दशमूल, त्रिफला, हल्दी, दारुहल्दी, कूड़े की छाल, सतौना की छाल, अपामार्ग, नील, कुटकी, अमलतास, कठगूलर के मूल, पुष्करमूल और धमासा ये २४ औषधियां १०-१० तोले लेकर ३२ सेर जल में मिलाकर क्वाथ करें। चतुर्थांश जल शेष रहने पर उतारकर छान लें। फिर भारंगी, पाठा, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, निसोंत, समुद्रफल, गजपीपल, पीपल, मूर्वा, दन्तीमूल, चिरायता, चित्रकमूल, काला सारिवा (अनन्तमूल), सफेद सारिवा, रोहिष घास, गन्धतृण, चमेली के पत्ते सब १-१ तोले मिला जल में पीसकर कल्क करें। फिर क्वाथ, कल्क के साथ गाय के गोबर का रस, दही, दूध, गोमूत्र और गोघृत २-२ सेर मिलाकर मन्दाग्नि पर घृत सिद्ध करें। और अंतिम में इसमें स्वर्ण की भावना दें।
उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
पंचगव्य घृत सेवन विधि :
पंचगव्य घृत को सुबह 10 ml की मात्रा में गुनगुने पानी, और गाय के दूध के साथ खाली पेट लिया जा सकता है।
इस घृत को लेने के बाद, कम से कम एक घंटे तक कुछ भी (चाय, कॉफी या नाश्ता) नहीं लेना चाहिये ।
पंचगव्य घृत के फायदे व उपयोग :
1-पंचगव्य घृत अपस्मार, उन्माद, सूजन, उदररोग, गुल्म, बवासीर, पाण्डु, कामला, भगंदर इत्यादि रोगों में लाभदायक है।
2- पंचगव्य घृत चातुर्थिक ज्वर को नष्ट करता है।
3-पंचगव्य घृत का प्रवेश धातुओं में सरलतापूर्वक हो जाता है। मस्तिष्क के भीतर आम, विष, कफ, कृमि या कीटाणु की स्थिति हुई हो, उसे यह घृत जला डालता है या नष्ट कर देता है। इस हेतु से रोगी को श्रद्धासह पथ्य पालन पूर्वक २-४ मास तक इस घृत का सेवन कराया जावे तो भगवान् धन्वन्तरिजी रोगी को नि:संदेह आरोग्यता प्रदान करते हैं।
5-अपस्मार और उन्माद पीड़ित कई रोगियों को इस घृत का सेवन सफलतापूर्वक कराया गया है और हमें घृत ने यश दिलाया है।
यह पंचगव्य घृत अपस्मार और उन्माद केi रोगी के लिए आशीर्वाद रूप श्रेष्ठ औषधि है। यद्यपि जीर्णावस्था और तीक्ष्णावस्था दोनों में प्रयुक्त होता है। तथापि जीर्णावस्था में इसके सेवन की विशेष आवश्यकता रहती है। जीर्णावस्था में लीन विष को नष्ट करने, वायु के प्रतिबन्के ो दूर करने, मन और इन्द्रियों की विकृति को दूर कर प्रकृति को सबल बनाने तथा चिन्ता को नष्टकर मन को प्रसन्न रखने की आवश्यकता है। वे इस पंचगव्य घृत से होते हैं।
What is Panchgavya Ghrit ?
Panchgavya Ghrit is an Ayurvedic Maha medicine in the form of ghee or we can say that it is a miraculous Maha-medicine with immediate effect. This Ayurvedic medicine is used to give strength to the brain, to increase digestion power, to treat epilepsy, to purify the blood and to cure thousands of diseases like bile disorder and cancer. If a healthy person regularly consumes it, then even a 60-year-old person starts looking like a 30-year-old. The face gets a sun-like glow.
Method of making Panchgavya Ghrit:
Take 10-10 tolas of these 24 medicines Dashmool, Triphala, Turmeric, Daruhaldi,
Bark of Kude, Bark of Satuna, Apamarg, Neel, Kutki, Amaltas, Root of Kathgular,
Pushkarmool and Dhamasa and mix them in 32 seers of water and make a
decoction. When one-fourth of the water remains, take it off and filter it. Then mix 1 tola each of Bharangi, Patha, dry ginger, black pepper, Peepal, Nisont, Samudraphal, Gajpeepal, Peepal, Murva, Dantimul, Chiraita, Chitrakmul, Black Sariva
(Anantamul), White Sariva, Rohish grass, Gandhatrin, Jasmine leaves and grind
them in water to make a paste. Then mix 2 seers each of cow dung juice, curd, milk,
cow urine and cow ghee with the decoction and paste and prepare ghee on
low flame. And finally add the fragrance of gold to it.
Availability: This mixture is available readymade with the same name at any ayurvedic medicine seller.
Method of consuming Panchgavya Ghrit :
Panchgavya Ghrit can be taken in the morning in the amount of 10 ml with lukewarm water and cow milk on an empty stomach. After taking this ghee, one should not take anything (tea, coffee or breakfast) for at least one hour.
Benefits and uses of Panchgavya Ghrit:
1. Panchgavya Ghrit is beneficial in diseases like epilepsy, hysteria, swelling, stomach disease, tumour, piles, anemia, jaundice, fistula etc.
2. Panchgavya Ghrit cures quartile fever.
3. Panchgavya Ghrit easily enters the metals. This ghee burns or destroys the presence of ama, poison, phlegm, worms or germs in the brain. For this purpose, if this ghee is given to the patient for 2-4 months with devotion and following the diet, then Lord Dhanvantari Ji undoubtedly provides health to the patient.
4. Many patients suffering from epilepsy and hysteria have been given this ghee successfully and ghee has brought us fame. This Panchgavya ghee is a blessing and the best medicine for the patients of epilepsy and hysteria. Although it is used in both chronic and acute stages. However, its consumption is especially required in chronic stage. In chronic stage, there is a need to destroy the poison absorbed, remove the obstructions of air, strengthen the nature by removing the distortion of mind and senses and keep the mind happy by destroying worries. These are done with this Panchgavya ghee.
Reviews
There are no reviews yet.